pariyon ki kahani | jadui chehara |जादुई चेहरा

                                                              

Pariyon ki Kahani | जादुई चेहरा 

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जादुई चेहरा परियों की कहानिया 

   बहुत समय की बात है, एक गांव था.वहा धनीसेठ नाम का आदमी रहता था. और वो बहुत ही आमिर था.उसकी दो पत्निया थी एक का नाम राशी था और दूसरी का नाम गोपी था . राशि दिखने को बहुत ही सुन्दर और आकर्षित थी बिलकुल किसी अप्सरा की तरह.और गोपी दिखने को इतनी सुन्दर नहीं थी. इसलिए धनीसेट राशि से कुछ ज्यादा प्रेम करता था. गोपी मन से साफ और स्वाभाव से बहुत अच्छी थी.वे सारे काम करती थी कभी मन मे लोभ नहीं रखती पुरे मन से कोई भी काम करती थी. लेकिन दूसरी और राशि थी वो बिलकुल कोई काम नहीं करती थी सिर्फ आईने के आगे सजती और सवरती रहथि थी. पुरे दिनभर आईने के आगे बैठे रहती.
    
   एक दिन धनीसेट ने अपनी छोटी पत्नी राशि को आवाज देते हुए कहा "राशि ओ राशि जरा यहाँ आना" परन्तु राशि तब अपने बाल सवार रही थी. तो उसने धनीसेट की आवाज सुन कर भी आवाज नही दी जब राशि नहीं गई तो गोपी धनीसेठ की आवाज सुन कर चली गई धनी सेठ ने उसे देखते ही कहा 
"मैंने राशि को आवाज दी है तुम क्यू आई हो यहां "
 तो गोपी बोली
 "राशि अपने बाल सवार रही थी तो मै आई यहां "
तब ही राशि वहा आ गई और गोपी पर चिलाने लगी 
"मुझे जरा से देर नहीं हुई तो तुमने तो मेरी शिकायत करना ही शुरू कर दि "तब गोपी बोली"नही नहीं मै तुम्हारी  शिकायत नही कर  रही थी"
तब धनिसेट बोला "अरे गोपी तुम ही रहने दो क्या छोटी छोटी बात पे झगड़ा करती रहती हो जाओ मेरे लिए एक गिलास पानी लेके आओ" जब गोपी पानी लेने के लिए गयी तो धनीसेट ने राशी  से कहा
"सुनो मै व्यापार के लिए एक महिना बाहर जा रहा हूँ पर ये बात तुम गोपी को मत बताना कियुकी मै चलते समय गोपी का माणूस चेहरा नहीं देखना चाहता हूँ " 
राशि बोली 
"हा ठीक है पर आप मेरे लिए शहर से गहने और नई  साड़ी या लेकर आना".उन दोनों कक बाते गोपी ने चुपके से सुन ली थी और धनी सेठ की ऐसे बाते सुन कर उसे बहुत बुरा लगा पर फिर भी उसने भगवान से कहा "हे भगवान मुजे कुछ नही चाहिए बस मेरी पति की रक्षा करणा"
  सेट के जाने के बाद राशी का वर्तन वेवार कुछ ज्यादा ही बिगड़ था .और हर छोटी छोटी बात पर  गोपी पर चिलाने लगती एक बार दोनों में कहा सुनी हो गई थो राशी ने गोपी से कहा
 "तुम कुरूप हो ,तुम्हे कोई भी प्यार नही करता ,तुम किसी भी कम के लायक नही हो"
राशी के ऐसे बाते सुनकर गोपी को बहोत बुरा लगा और घर छोड़ कर जंगल में चली गई .
जंगल में जाने पर उसने एक पेड़ देखा और उस पेड़ के निचे कचरा पड़ा था  तो गोपी ने खा
 "ओ हो इस पेड़ के नीछे कितनी गंदगी है में यह सफाई कर देती हु"
और गोपी ने जैसे ही सफाई की तो वह पेड़ बोलने लगा
"तुम एक नेक दिल इन्सान हो तुम्हारे डरे दुख इस कचरे के तरह दफ हो जाये गें".
इस पर ओपी ने पेड़ को शुक्रिया खा और आगे चलने लगी आगे चलने पर उसने केले का पेड़ देखा जो केलो के भार के वजह से एक तरफ ज़ुका हुआ था तो गोपी ने सोचा की ये पेड़ जुक गया हे इसे सहारे के जरुरत है  इसलिए गोपी ने उसे लकड़ी के सहारे उस पेड़ को सहारा दिया तो वे पेड़ भी बोलने लगा "जैसे तुमने मुजे भार के वजह से गिर ने से बचाया हे वैसेही तुम दुखो के भार से बचोगी " गोपी ने केले के पेड़ को भी शुक्रिया खा और आगे चलने लगी
आगे चलने पर उसे एक पेड़ दिखा जो लगभग सुख चूका था "अरे इस पेड़ को तो पानी सक्त जरूरत है न्हीऊ तो ये सुखकर मर जायेगा " और गोपी पास के तलाब पानी लाकर डालती रही तो वे सुखा पेड़ अचानक से हरा भरा हो जाता है और बोलने लगता है "जिस प्रकार तुमने मुजे वापिस खुबसूरत बनाया है वैसेही तुम हमेशा खुबसूरत रहो जाओ पास के तलाब में दुबकी लगा के आओ" और गोपी ने पेड़ के कहने पर तलाब पे दुबकी लगायी और देखते ही देखते वो किसी परि के सामान खुबसुरत हो गयी और उसका चेहरा भी चमकने लगा. गोपी "अरे वाह में तो बिलकुल ही बदल गई धन्यवाद् तुमने मेरि सहायता की" और फिर गोपी जल्दी से अपने घरी गई और राशी उसे देखा कर बिलकुल चौक ही गई
      
  "तुम तो बिलकुल ही बदल गई हो आखिर तुम इतनी अच्छी कैसे हो गयी "
तो गोपी ने उसे पुरी घटना सुनाई तो राशी ने कहा "में भी वहा जाउंगी और तुमसे भी ज्यादा खुबसूरत जादुई चेहरा लेकर आउंगी देखलेना" उसके बाद राशी गोपी के बताये रस्ते पर जाती है और उसे भी व्ही पेड़ दीखते है पर उनके तरफ ध्यान नही देती तो एक पेड़ ने राशी से खुद कहा "मेरे आस बहोत कचरा पड़ा है तुम थोड साफ करदो" तो इस पर राशी ने कहा
"में यहा  कोई सफाई करने नही आई हूँ तुम बस मुजे उस तलाब का पता बता दो जो जादुई चेहर देता है" तो इस तरह राशी सब पडो को अपने काम के लिए मना करती चली गई और तलाब का पता पूछती गई और अंत में वो तलाब तक पोहोच ही जाती है तो वो जल्दी से दुबकी लगाती हे और सुन्दर होने के बजाय कुरूप हो जाती है और ये देख राशी चिलाने लगी "मेरे साथ ऐसा क्यू किया" तब पेड़ जवाब देते है की "तुम एक बुरे और गमंदी इन्सान हो और तुमने हमेशा गोपी के साथ बुरा बर्ताव कियइस्ल्ये तुम्हे ये मिला क्यू की  तुम्ही इसी की हक़दार हो". इसके बाद राशी अपने किये पर बोहोत दुख्ही हुई फिर क्या गोपी सेट के पास रहती और राशी अप्पने किये पर रोती  रहती.

👉 देखा किसे के साथ बुरा व्यहवार करने का फल कितना वुरा होता है इसलिए हमेशा अपना स्वभाव अच्छा रखे ऐसा ही राशी करती तो उसे भी गोपी के तरह जादुई चेहरा मिलता .

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Amol Kamble

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